बुराई और असत्य ज्यादा समय तक नहीं चलता है, अंतत अधर्म पर धर्म की जीत होती है- शान्तनु महाराज, पूजन व आरती के बाद भक्तजनों के बीच महाप्रसाद का वितरण किया गया

कथा के आखिरी दिन हजारों की संख्या में जुटे लोग, जय श्री राम जयकारे से गूंज उठा पण्डाल

मीरजापुर। अहरौरा नगर क्षेत्र के सत्यानगंज में स्थित राधा कृष्ण मंदिर (स्थल) में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा के अंतिम दिन कथावाचक आचार्य शान्तनु महाराज ने लंका दहन, राम-रावण युद्ध, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक के प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि माता पार्वती को पता चला था कि रावण ने छल से सोने की लंका हासिल की है, इसलिए उन्होंने रावण को श्राप दिया था, इस श्राप के मुताबिक, एक दिन सोने की पूरी लंका आग में जलकर भस्म हो जाएगी। हनुमान जी जब माता सीता की खोज में लंका पहुंचे, तो उन्होंने अशोक वाटिका को तहस-नहस कर दिया था, इसके बाद, जब हनुमान जी की पूंछ में आग लगाने का आदेश दिया गया, तो उन्होंने अपनी पूंछ से पूरी लंका को जला दिया। रावण की मृत्यु के बाद, भगवान राम के आदेश पर विभीषण ने लंका पर शासन किया, राम ने उन्हें अमरता प्रदान की, इसलिए वे तब से लंका और राक्षसों पर शासन करते।
युद्ध के बाद, विभीषण ने राम से रावण का उड़ने वाला रथ लेने को कहा राम ने ऐसा ही किया और हनुमान को भरत के लिए एक संदेश भेजा इस संदेश में बताया गया था कि वनवास खत्म हो गया है और राम आ रहे हैं।
यह समाचार सुनकर भरत बहुत खुश हुए और राम के राज्याभिषेक की तैयारी करने लगे। जब राम अयोध्या पहुंचे, तो भरत ने राजसी पादुकाएं उनके चरणों में रख दीं।

श्रीराम में विशेष शुभ मुहूर्त में रावण का वध किया

रामायण युद्ध अश्विन शुक्ल पक्ष की तृतीया को शुरू हुआ था और दशहरे के दिन यानी दशमी को रावण का वध हो गया था।
रावण का वध करने के लिए भगवान राम ने विशेष बाण का इस्तेमाल किया था। रावण की आखिरी इच्छा थी कि जब उनका निधन हो, तो उन्हें राम नाम का वस्त्र पहनाया जाए।
कथावाचक ने बताया कि रामायण हमें जीने का तरीका सिखाती है, रामायण हमें आदर्श, सेवा भाव, त्याग व बलिदान के साथ दूसरों की संपत्ति पर हमारा कोई अधिकार नहीं है, की सीख देती है। इस प्रकार भगवान श्रीराम ने दीन-दुखियों, वनवासियों के कष्ट दूर करते हुए उन्हें संगठित करने का कार्य किया एवं उस संगठन शक्ति के द्वारा ही समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर किया। इसलिए हर राम भक्त का दायित्व है कि पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें, उसी दौरान कथा पंडाल में राजा रामचंद्र की जय के जयकारों से गूंज उठा।
कहा की बुराई और असत्य ज्यादा समय तक नहीं चलता है। अंतत अधर्म पर धर्म की जीत होती है भगवान श्रीराम ने सत्य को स्थापित करने के लिए रावण का वध किया श्रीराम कथा के माध्यम से व्यक्ति को अपनी बुरी आदतों को बदलने का प्रयास करना चाहिए राम कथा भक्त को भगवान से जोड़ने की कथा है।भगवान की कथा हमें बताती है कि संकट में भी सत्य से विमुख न हो व अपने वचन का पालन करें माता-पिता की सेवा, गुरु जन का सम्मान, गौ माता का वास तथा ईश्वर का स्मरण जिस घर परिवार में होता है वह स्वर्ग के समान है।
कथा के दौरान रामायण पूजन व आरती के बाद भक्तजनों के बीच महाप्रसाद का वितरण किया गया। श्रीराम कथा के समापन पर आयोजन रामायणम समिति द्वारा क्षेत्र वासियों को कार्यक्रम में सहयोग करने के लिए आभार जताया गया।रामायणम समिति के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह, महामंत्री जितेंद्र अग्रहरि, ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह, धीरज सिंह, शिवदर्शन सिंह, डॉ. शरद चन्द्र श्रीवास्तव, रिंकू श्रीवास्तव, अमन कक्कड़, शिखर सिंह, अभय प्रताप सिंह, त्रिलोकी केशरी, संदीप पांडेय, रिंकू मोदनवाल, बादल पाण्डेय, उदय अग्रहरि के साथ सैकड़ो रामभक्त रहे।

Vikash chandra Agrahari
Vikash chandra Agrahari
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