फ़िरोज़ाबाद। दाऊ दयाल महिला महाविद्यालय में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश सरकार एवं दाऊ दयाल शिक्षण संस्थान के सहयोग से दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन तकनीकी सत्र का शुभारंभ संगोष्ठी समन्वयक महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर रेनू वर्मा एवं मंच पर आसीन मुख्य अतिथियों द्वारा मां शारदे के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण कर किया गया तत्पश्चात महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना की मोहक प्रस्तुति से कार्यक्रम को गति प्रदान की गई। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो०रेनूवर्मा द्वारा स्वागत उद्बोधन के साथ ही आगंतुक अतिथियों का बैज व पटका लगाकर भव्य स्वागत किया गया तत्पश्चात संगोष्ठी के सफल आयोजन हेतु लखनऊ से माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा प्रेषित शुभकामना संदेश को मंच से प्रो०प्रीति अग्रवाल ने पढ़ा।इसी के साथ मंचासीन मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश सरकार एवं दाऊ दयाल महिला महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की प्रोसीडिंग पुस्तक का विमोचन किया गया। तकनीकी सत्र का आगाज करते हुए संगोष्ठी की सह आयोजन सचिव प्रो०रंजना राजपूत ने सेमिनार के विषय उप-विषयों का उल्लेख करते हुए शोध-पत्र वाचन के दौरान वक्ताओं को नियमों से भी परिचित कराया।बीज वक्ता के रूप में उपस्थित विषय विशेषज्ञ साहित्य शिरोमणि डॉ रामसनेही लाल शर्मा यायावर ने संगोष्ठी के विषय से संबंधित फिरोजाबाद जनपद की ऐतिहासिकता की पृष्ठभूमि पर आधारित हिन्दी साहित्यकारों एवं उनके साहित्य पर विस्तृत प्रकाश डाला।प्रोफेसर (डॉ) अनिल कुमार पांडे(छत्तीसगढ़), प्रोफेसर दिनेश नारायण (पश्चिम बंगाल),श्री श्रवण कुमार,श्री हिमांशु शेखर (भागलपुर) प्रो०नीलम सिंह,प्रो०प्रियदर्शिनी उपाध्याय, डॉ गीता यादवेन्दु जी, सुधीर कुमार सिंह आदि वक्ताओं ने संगोष्ठी के विविध विषय, उप-विषयों पर अवलोकन करते हुए अपने उद्बोधन में भारत की वैज्ञानिक पद्धति को लेकर ऐतिहासिक व सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर उद्देश्य पूर्ण एवं सारगर्भित विवेचना की गई। तकनीकी सत्र में लगभग 49 शोध पत्र पड़े गए। प्रो०गीता माहेश्वरी ने अपने उद्बोधन में कहा कि-समाज के कुछ परिवारों में रीत रिवाज परंपराएॕऺं आज भी जीवित हैं जो वैज्ञानिक दृष्टि से मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। सभ्यता और संस्कृति में समकालीन बोध को आधार बनाकर तथा वसुधैव कुटुंबकम् की भावना को उजागर करते हुए विषय विशेषज्ञ प्रो०युवराज सिंह ने कहा कि वास्तव में सांस्कृतिक स्वरूप को सुरक्षित रखने में साहित्य, संगीत और कला का अपना विशिष्ट महत्व है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं प्रो०सुभद्रा कुमार सत्संगी ने अपने अध्यक्षीय संभाषण में वर्तमान युवा पीढ़ी को संबोधित करते हुए भारत की ऐतिहासिक परंपरा में लोक-संगीत को लक्ष्य करते हुए सांस्कृतिक मूल्यों का महत्व एवं उनकी उपयोगिता विषय पर सभागार में उपस्थित जन-समुदाय का मार्गदर्शन किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर निधि गुप्ता ने किया।
कार्यक्रम के अंत में प्रो०निशा अग्रवाल ने सभागार में उपस्थित देश- विदेश के जाने-माने शिक्षाविद, साहित्यकार, इतिहासकार, समाजसेवी, उद्योगपति, शोधार्थियों एवं शिक्षक समुदाय का हार्दिक धन्यवाद करते हुए कार्यक्रम की सफलता पर हर्ष प्रकट किया।
इस अवसर पर सचिव श्री समीर शर्मा, सी ओ ओ डॉक्टर विजय कुमार शर्मा, आयोजन सचिव प्रोफेसर विनीता यादव,प्रो०विनीता गुप्ता ,प्रोफेसर प्रेमलता, डॉ छाया बाजपेई, डॉ रूमा चटर्जी,डॉ माधवी सिंह, डॉ अंजू गोयल, डॉ शालिनी सिंह, डॉ ज्योति अग्रवाल, डॉ शमा बी, डॉ नम्रता निश्चल त्रिपाठी, श्रीमती संध्या चतुर्वेदी, डा प्रिया सिंह, डॉ श्वेता राय, शालिनी मिश्रा, डा नूतन राजपाल,विनीता सिंह,डॉ गरिमा सिंह, डॉ नम्रता वर्मा, डॉ अर्चना अग्रवाल, डॉ प्रिया सिंह, श्री विकास वार्ष्णेय,श्री अमित अग्रवाल,श्री शब्बीर उमर,डा कंचन, नीतू सिंह, मुदस्सिर जहां, सुश्री शिवानी अग्रवाल श्री शंभू दयाल जी,श्री रविकांत सिंह,श्री मनोज कुमार,समस्त महाविद्यालय परिवार उपस्थित रहा।