फिरोजाबाद, 11 अक्टूबर 2024: प्राचीन रामलीला मैदान में दुर्गा नवमी के पावन अवसर पर आज रामायण के एक अत्यंत मार्मिक और ऐतिहासिक प्रसंग का मंचन किया गया। इस दौरान रावण पुत्र मेघनाद की अंतिम यात्रा और उसकी पत्नी सुलोचना के सती होने का दृश्य दर्शकों के लिए भावुक क्षण लेकर आया।
प्रसंग का विस्तार
रामायण के इस प्रसंग में मेघनाद, जिन्हें इंद्रजीत के नाम से भी जाना जाता है, युद्ध में वीरगति को प्राप्त होते हैं। उनके मृत शरीर को युद्धभूमि से लाया जाता है, जहां उनके पिता रावण स्वयं अपने पुत्र को मुखाग्नि देते हैं। इस दृश्य में रावण की भूमिका निभाने वाले कलाकार ने अपने अभिनय से पिता के शोक और वीर पुत्र को अंतिम विदाई के क्षणों को जीवंत कर दिया। रावण का अपने पुत्र के अंतिम संस्कार के समय भावुक होना दर्शकों को गहरे तक छू गया।
मेघनाद के अंतिम संस्कार के तुरंत बाद सुलोचना का प्रवेश हुआ, जो अपने पति के सिर को लेकर शोक में डूबी हुई थीं। अपने पति की मृत्यु से व्यथित सुलोचना ने सती होने का निश्चय किया और अपने पति के शव के साथ अग्नि में समर्पित हो गईं। इस दृश्य को रंगमंचीय कला और प्रभावों के साथ बेहद संवेदनशील और मार्मिक तरीके से प्रस्तुत किया गया, जिसे देखकर दर्शक भावुक हो उठे।
दर्शकों की प्रतिक्रिया
रावण द्वारा अपने पुत्र मेघनाद को मुखाग्नि देने और सुलोचना के सती होने का दृश्य रामलीला के इस वर्ष के आयोजन का सबसे भावनात्मक हिस्सा रहा। पूरे मैदान में सन्नाटा और भावनाओं की गूंज थी, और दर्शकों ने इस दृश्य को ऐतिहासिक महत्ता का प्रतीक बताया। उपस्थित दर्शकों में से कई की आंखें इस मार्मिक दृश्य के दौरान नम हो गईं।
इस वर्ष की रामलीला ने पारंपरिक कथाओं को आधुनिक रंगमंचीय तकनीकों के साथ प्रस्तुत किया है, जिससे यह न केवल धार्मिक आयोजन रहा, बल्कि एक भावनात्मक यात्रा भी बन गई।
फिरोजाबाद से विशाल वर्मा की रिपोर्ट
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