पुत्र के वियोग में राजा दशरथ के गए प्राण, कथा सुनकर हुए लोग भावुक, श्री राम के पहूंचते ही महर्षि वाल्मीकि नाचने लगे झूमने लगे, मेरे प्रभु आ गए, मेरे प्रभु आ गए

मीरजापुर। अहरौरा नगर के सत्यानगंज में स्थित राधा कृष्ण मन्दिर (स्थल) परिसर में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के आठवें दिन कथावाचक आचार्य शान्तनु महाराज ने बताया कि प्रभु श्रीराम प्रयागराज के भरद्वाज मुनि के आश्रम पहुंचते हैं भरद्वाज ऋषि ने कहा श्रीराम का अवलोकन करके मैं धन्य हो गया वहा से चले वाल्मीकि रिषि के आश्रम में पहुंचते हैं जहा महर्षि श्री राम का दर्शन पाकर गदगद हो गए कदम मूल फल खाकर अपना दिन बिताया महर्षि वाल्मीकि जी से श्रीराम अयोध्या की कथा सुना रहें हैं थे मगर महर्षि, वाल्मीकि ने कहा श्रीराम मैं जानता हूं क्या-क्या घटना हुई है, हे राम तुम्हें कोई जान नही सकता वाल्मीकि ऋषि ने कहा कि मैं जानता हूं श्री राम ने कहा आप त्रिकाल दर्शी है तो आप यह भी जानते होंगे की मुझे चौदह वर्ष के लिए वनवास हुआ। आपको चौदह वर्ष के लिए किन किन रास्तों से होकर जाना है मैं बतला दूंगा श्रीराम ने महर्षि वाल्मीकि जी से विदा मागा और जंगलों में रहने वाले कोल भील वनवासीयो से मुलाकात हुई भगवान उन्हें भी दर्शन दिए। जिससे बाद हनुमान जी के चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम सभी सनातनी हिन्दू धर्म भाईयों को अपने अपने घरों के उपर हनुमान जी का पताका जरूर फहराया जाना चाहिए कलयुग में हनुमान जी जैसा कल्याणकारी कोई भी नहीं है। और कहा कि इस कारुणिक प्रसंग को सुनकर सम्पूर्ण जनमानस श्रोता समाज भावविह्वल हो गया। सबकी अश्रुधारा फूट पड़ी है। सम्पूर्ण वातावरण भक्तिमय हो गया। उसी दौरान अध्यक्ष दिग्विजय सिंह के जन्मदिन पर महाराज जी ने मिठाई खिलाकर आशीर्वाद दिए। इसी दौरान रामायणम समिति के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह, महामंत्री जितेंद्र अग्रहरि, ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह, धीरज सिंह, शिवदर्शन सिंह, डॉ. शरद चन्द्र श्रीवास्तव, रिंकू श्रीवास्तव, अमन कक्कड़, शिखर सिंह, अभय प्रताप सिंह, त्रिलोकी केशरी, संदीप पांडेय, रिंकू मोदनवाल, बादल पाण्डेय, उदय अग्रहरि के साथ सैकड़ो रामभक्त रहे।

Vikash chandra Agrahari
Vikash chandra Agrahari
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