फ़िरोज़ाबाद। श्री कृष्ण कृपा जीओ गीता परिवार द्वारा आयोजित दिव्य गीता महोत्सव का तीसरे दिन के प्रवचन व सांस्कृतिक संध्या के साथ समापन हुआ। प्रातः 8 बजे ध्यान साधना का कार्यक्रम फिरोजाबाद क्लब में आयोजित हुआ, ध्यान साधना में बोलते हुए गीता मनीषी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि टैंशन लेना स्वयं पर निर्भर करता है यदि सोच सकारात्मक है तो प्रतिकूलताओं में से भी अनुकूलता ढूंढ लेती है और वह सोच स्वयं को पसंद करेंगी। 10 में से 9 काम अनुकूल हो रहे हैं लेकिन हमारी सोच जो एक काम नहीं हो रहा है उसी पर अटक जाती है।
ध्यान के साथ मन को एकाग्र करने के लिए प्राणायाम, नामस्मरण (जप), त्राटक का भी सहारा लिया जा सकता है। ध्यान में ह्रदय पर ध्यान केन्द्रित करना, ललाट के बीच अग्र भाग में ध्यान केन्द्रित करना, स्वास-उच्छवास की क्रिया पे ध्यान केन्द्रित करना, इष्टदेव या गुरु की धारणा करके उसमे ध्यान केन्द्रित करना, मन को निर्विचार करना, आत्मा पे ध्यान केन्द्रित करना जैसी कई पद्धतियाँ है। ध्यान के साथ प्रार्थना भी कर सकते है।साधक अपने गुरु के मार्गदर्शन में ध्यान कर सकता है। ध्यान के अभ्यास के प्रारंभ में मन की अस्थिरता और एक ही स्थान पर एकांत में लंबे समय तक बैठने की अक्षमता जैसी परेशानीयों का सामना करना पड़ता है। निरंतर अभ्यास के बाद मन को स्थिर किया जा सकता है और एक ही आसन में बैठने के अभ्यास से ये समस्या का समाधान हो जाता है। सदाचार, सद्विचार, यम, नियम का पालन और सात्विक भोजन से भी ध्यान में सरलता प्राप्त होती है। ध्यान का अभ्यास आगे बढ़ने के साथ मन शांत हो जाता है जिसको योग की भाषा में चित्तशुद्धि कहा जाता है। ध्यान में साधक अपने शरीर, वातावरण को भी भूल जाता है और समय का भान भी नहीं रहता। उसके बाद समाधिदशा की प्राप्ति होती है। योगग्रंथो के अनुसार ध्यान से कुंडलिनी शक्ति को जागृत किया जा सकता है। ध्यान साधना अद्भुत है प्रतिदिन करने से देवत्व की प्राप्ति के द्वार खुलते हैं।
स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने उपस्थित सभी साधकों को साथ ध्यान लगाया।
गीता सत्संग का अंतिम सत्र दोपहर 3 बजे से प्रारंभ हुआ। यजमान श्री विनोद कुमार अग्रवाल व श्री आनंद मित्तल” ने मंदिर में विराजमान बांके बिहारी जी व राधारानी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया , दीप प्रज्जवलन श्री दीपक बंसल जी व गीता पूजन डा गोपाल कृष्ण अग्रवाल जी द्वारा किया गया। महाराज जी का स्वागत व माल्यार्पण राजू मित्तल व अभिषेक मित्तल ने किया। संचालक दिनेश अग्रवाल जी ने किया। गीता महोत्सव के दूसरे दिन फिरोजाबाद क्लब में अपार जन समूह को संबोधित करते हुए परम पूज्य गीता मनीषी स्वामी श्री ज्ञान आनंद जी महाराज ने कहा की विष का प्याला आया हाथ में, मीरा ने गिरिधर गोपाल की पूजा की और दासी ने विष का प्याला हाथ में दिया और बोली कि यह चरणामृत है, जब मीरा पीने को हुई तो दासी ने हाथ रोक लिया और सच बताया कि राणा ने आपको मारने के लिए विष भेजा है, सनातन धर्म में कई घटनाओं को काल्पनिक कहा जाता है लेकिन सनातन काल्पनिक नहीं है, मीरा का विष अमृत बना इसमें काल्पनिकता नहीं वैज्ञानिकता है जैसा सोचोगे वैसा पाओगे। भागवत गीता पूरी तरह से व्यवहारिक प्रेरणा का शास्त्र है। दुर्योधन ने जीवन में कभी किसी का आशीर्वाद लेना जरूरी नहीं समझा। युद्ध से पूर्व जब दुर्योधन और अर्जुन भगवान श्री कृष्ण के पास गये तो दुर्योधन श्री कृष्ण के सिरहाने पर खड़ा हो गया वही अर्जुन श्रीकृष्ण के पैरों की तरफ खड़े थे। श्री कृष्ण ने अर्जुन का अभिवादन स्वीकार किया और उसके आने का कारण पूछा तभी अहंकार में दुर्योधन बोला कि मैं भी यहां पर उपस्थित हूं। श्री कृष्ण ने तिरछी नजर से दुर्योधन को देखा वहीं पर युद्ध का निर्णय हो चुका था, भगवान जिस पर अपनी तेढी नजर कर लेते हैं उसका विनाश होना तय हो जाता है। सनातन धर्म में कहीं भेदभाव नहीं है कोई छूआछूत नहीं है।
गीता आस्था और भाव की डुबकी है, समता की डुबकी है, विश्वास की डुबकी है ही की डुम्की
गीरा- जब तू कम- भी जमर होगा| श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी भजन पर सभी साधक भाव विभोर हो गए।भजन
आरती कर्ता बसंत अग्रवाल,सुधीर अग्रवाल, विपुल बंसल,नितिन गर्ग, निखिल बंसल,लोकेश अग्रवाल,कमल माहेश्वरी,श्रवण बंसल,अनीस अग्रवाल,अजय अग्रवाल,श्रीमती नीता सिंघल, संदीपबंसल , विशाल अग्रवाल ,संदीप गुप्ता, राकेश अग्रवाल लोडिंग, राजकुमार अग्रवाल सीता मैटलाइजिंग द्वारा आरती की गई।
समापन के अवसर पर राहुल मुरादाबाद के वैष्णवी कला मंच द्वारा भगवान की विभिन्न लीलाओं का मंचन किया। गणेश आरती के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ उद्घाटन कर्ता श्री मयंक भटनागर जी किड्स कॉर्नर द्वारा किया गया , इसके बाद भगवान विष्णु के दशावतार का अलौकिक दर्शन व भव्य स्वरूपों ने सभी साधकों का मन मोह लिया।लव कुश लीला और द्रोपदी चीर हरण देखकर उपस्थित जन समूह की आंखें नम हो गई।राधा कृष्ण की होली ने साधकों को नाचने पर मजबूर कर दिया। कांतारा फिल्म के गाने वराह रूपम पर शानदार प्रस्तुति दी।