चिकित्सकों ने कहा सभी वर्गों में एकता की आवश्यकता
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के घोर निंदा
फ़िरोज़ाबाद। नगर के सरस्वती शिशु मंदिर गौशाला में महानगर के सभी वरिष्ठ चिकित्सकों की एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें समाज के सभी गणमान्य चिकित्सकों ने बांग्लादेश में हो रही हिंसा पर अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये।
गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर एसपीएस चौहान ने की। मंच पर मेडिकल एसोसियेशन की अध्यक्ष डॉ पूनम अग्रवाल एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत व्यवस्था प्रमुख दिलीप जी मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।
मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित प्रांत व्यवस्था प्रमुख वक्ता श्रीमान दिलीप जी ने कहा कि यह जो समस्या बांग्लादेश में उत्पन्न हुई है यह समस्या आज वर्तमान की नहीं है यह समस्या कई सैकड़ो वर्षों से हम हिंदुओं के मध्य बनी हुई है। जिसका परिणाम है कि आज हमारा भारत देश सिकुड़ कर कर बहुत छोटे परिसीमन में रह गया है। हम सब जानते हैं जहां-जहां इस प्रकार की परिस्थितियों उत्पन्न होती है वहां हिंदू अपने स्थान से पलायन कर जाता है। हम सभी को इस समस्या के मूल कारण को पहचानना होगा और इस समस्या के मूल कारण पर ही कुठाराघात करना होगा तभी जाकर इस प्रकार की समस्याओं से निराकरण मिल सकता है। हमें शक्तिशाली बनने के साथ एक रहना होगा।
डॉ पूनम अग्रवाल ने कहा कि हमारे समाज में दो प्रकार के वर्ग है। एक उग्र वर्ग है और एक बहुत ही नरम स्वभाव का है। हमें अपने बच्चों को उग्र नहीं बनाना हमें अपने बच्चों को शक्तिशाली बनाना है ताकि उन्हें इस प्रकार की समस्या का सामना ही न करना पड़े।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चिकित्सक बंधुओं ने कहा कि हिंदू समाज नेक है किंतु एकता की कमी है यही कारण है कि आज हमारे हिंदू समाज को इस प्रकार की परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। हमें सभी वर्गों को मिलकर के एक साथ एकता की मिसाइल कायम करनी है तभी जाकर हिंदू धर्म का कल्याण संभव है।
गोष्ठी में प्रमुख रूप से डॉ विनोद अग्रवाल, डॉ रचना जैन, डॉ महेश चंद्र गुप्ता, डॉ राधा मोहन गुप्ता, डॉ गौरव अग्रवाल, डॉ जलज गुप्ता, डॉ सौरभ, डॉ मनोज जिंदल, डॉ तरुण जी, डॉ आर बी ओझा, डॉ वरुण शर्मा, डॉ अनिल बंसल, डॉ जगदीश बंसल, डॉ रमाशंकर सिंह, डॉ रामकुमार गुप्ता, विभाग कार्यवाह ब्रजेश यादव, महानगर प्रचारक श्रीमान शेखर जी, महानगर कार्यवाह गौरव जी, नानक चंद वासवानी आदि उपस्थित रहे।