फीरोजाबाद। अखिल भारतीय सोहम महामंडल के‌ तत्वाधान में भागवत कथा ज्ञान यज्ञऔर संत सम्मेलन में आज मुख्य रूप से सुदामा चरित्र के साथ ही आत्मा और परमात्मा पर संत विद्वानों द्वारा चर्चा करते हुए बताया गया कि हर जीवात्मा परमात्मा का ही अंश है।
सोहम महामंडल के परमाध्यक्ष स्वामी सत्यानंद जी महाराज ने आत्मा व परमात्मा पर चर्चा करते हुए बताया कि
हर जीव में परमात्मा काअंश हैआत्मा रूपी बूंदअंत में परमात्मा में मिल जाती हैआत्माअमर है तो शरीर नश्वर है कर्म के अनुसार ही जीव को शरीर मिलता है परमात्मा की प्राप्ति के लिए आत्मा का शुद्ध होना आवश्यक है भगवान की भक्ति से जीवन का कष्ट सहज मे मिट जाता हैअपने भगवान का सच्चे मन से स्मरण करें और समाज व परिवार में सभी प्रेम व्यवहार करें क्योंकि आत्मा ही परमात्मा का स्वरूप है।
महामंडलेश्वर स्वामी शुकदेवानंद महाराज ने कहा कि परमात्मा की भक्ति से मन निर्मल होता है और सच्ची भक्ति से ही परमात्माका ज्ञान होता है। सत्संग से ही आत्मा और परमात्मा का ज्ञान होना चाहिए हर व्यक्ति को अपने जीवन को सत्संग दान और समाज सेवा में जरूर लगाना चाहिए। ब्रह्म परमात्मा का ज्ञान ही ईश्वर का आध्यात्मिक मार्ग है ।
स्वामी परमानंद जी महाराज ने कहा आत्मा और परमात्मा का संपर्क इस प्रकार होता है जिस प्रकार सागर में गिरने के पश्चात बूंद नहीं रहती वह सागर बन जाती है इस प्रकार आत्मा परमात्मा में विलीन हो जाती है और वह भी परमात्मा वन‌ जाती है।‌परमात्मा के स्मरण से भक्तों को संतो को परमानंद की अवस्था प्राप्त होती है जितने साधु महात्मा है साधना में बैठते हैंऔर परमानंद की प्राप्ति करते हैं।
इसके अलावा स्वामी रामशरण दास स्वामी निगमानंद स्वामी ‌ स्वामी परमानंद स्वामी सच्चिदानंद आदि ने भी अपने प्रवचनों से श्रद्धालुओं को लाभान्वित किया संचालन स्वामी नारायणनंद जी महाराज द्वारा किया गया।
कथा व्यास पंडित राम गोपाल शास्त्री ने श्रीभागवत कथा मे शनिवार को सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि जीवन में मित्रता कृष्ण और सुदामा जैसे होनी चाहिए जिस प्रकार गरीब ब्राह्मण मित्र पर अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया ‌। सुदामा ‌जव‌ पत्नी के कहने पर श्री कृष्ण के पास जाते हैं तो‌ भगवान अपने मित्र के स्वागत में द्वार पर दौड़े चले आते‌ है और स्वय मित्र के पैर धो कर सिंहासन पर बैठाते हैं और मित्र की दशा देखकर बहुत दुखी होते‌ है
देख सुदामा की दीन दशा करुणा करके करुणा करुणा निधि रोये ,पानी परात को हाथ छुओ नही नैनन के जल‌ से पग धोये।
ब्यास जी ने कहा कि मित्रता मे स्वार्थ नहीं होना चाहिए ।

सच्चा मित्र के भाव को समझता है।‌ श्री कृष्ण ने बिना मांगे सुदामा को सब कुछ दे दिया। मित्रता मे‌ कोई छोटा बड़ा नहीं होता श्री कृष्ण ने अपने सहपाठी सुदामा के द्वारा‌ गुरु माता ने चने का भाग दिया था। वह‌‌ दुर्वासा ऋषि के शाप के कारण शापित थे जो चने‌ खाएगा वह‌‌ दरिद्र हो जाएगा इसलिए सुदामा जी ने अपने मित्र को‌ ऋषि के शाप से मित्र को बचाने के लिए सब चने अकेले ही खाए थे।
कार्यक्रम में संत जनों का स्वागत और आरती करने वालों में मुख्य रूप से मुख्य यजमान मनोज यादव मुख्य यज्ञपति श्रीमती मधु एवं उमेश अग्रवाल अनूपचंद जैन एडवोकेट द्बिजेंद्र मोहन शर्मा उमाकांत पचौरी एडवोकेट रमाकांत उपाध्याय अंकित यादव सुरेश मित्तल एडवोकेट राजकुमार गुप्ता फूल सिंह बालकिशन अग्रवाल मनोहर लाल अग्रवाल संजय अग्रवाल रेता वाले प्रवीण अग्रवाल अनुग्रह गोपाल उम्मेद सिंह यादव संजय शर्मा संजय अग्रवाल सोमेश यादव केशव लहरी राकेश राजोरिया महेश चंद्र आदि उपस्थित थे ।
रविवार को सुबह यज्ञ की पूर्णाहुति और 12:00 बजे भागवत कथा और संत सम्मेलन के समापन के साथ ही प्रसाद वितरण के साथ धार्मिक कार्यक्रम का समापन होगा।