फ़िरोज़ाबाद, भगवान बाहुबली के महा मस्तकाभिषेक महोत्सव में प्रातः काल से ही सेंकड़ों श्रद्धांल्यूओं का पहुंचना प्रारम्भ हो गया।  प्रातः नित्य नियम पूजन के पश्चात् आचार्य श्री वसुंनंदी गुरुदेव के सानिध्य में प्रतिष्ठाचार्य द्वारा मन्त्रोंच्चारण के साथ पीत वस्त्रों में स्वर्ण मुकुट धारण किये महावीर प्रसाद जैन परिवार ने गुरु आज्ञा लेकर भगवान बाहुबली की विशाल प्रतिमा के सम्मुख मंत्र आराधना की तथा उनके चरणों का जलाभिषेक किया प्रातः 8 बजे भगवान बाहुबली को निर्वाण की प्राप्ति हुई तब श्रद्धांलुओं द्वारा भगवान बाहुबली की निर्वाण कल्याणक पूजन किया।

धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा की भगवान बाहुबली द्वारा एक वर्ष तक बिना हिले खड़े रहकर कठोर तपस्या की। इस दौरान उनके शरीर पर बेले लिपट गयी। चींटियों और आंधियों से घिरे होने पर भी उन्होंने अपना ध्यान भंग नही किया और बिना कुछ खाये पिये अपनी तपस्या जारी रखी। एक वर्ष के पश्चात भरत उनके पास आये और उन्हें नमन किया। इससे बाहुबली के मन में अपने बड़े भाई को नीचा दिखाने की ग्लानि समाप्त हो गई और उनके चार घातिया कर्मों का नाश हो गया। तब उन्हें केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे इस अर्ध चक्र के प्रथम केवली बन गए। इसके पश्चात उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई।

रात्रि के कार्यक्रम में इंदौर से पधारी साधना मदावत जैन निर्देशिका रंगशाला अकेडमी द्वारा भरत का भारत शीर्षक का अभूतपूर्व नाट्यमंचन किया गया। अकेडमी के द्वारा बताया गया कि किस तरह हमारे देश का नाम भारत पड़ा। 

आदीश जैन ने बताया कि कल प्रातः 7:30 बजे से भगवान बाहुबली का महा मस्तकाभिषेक प्रारम्भ होगा। जिसमे देश विदेश से हजारों श्रद्धालु भगवान की एक झलक पाने को जुटेंगे। उन्होंने बताया कि इस महा कुम्भ के लिए नगर के लगभग सभी होटल और धर्मशालाएं बुक कर दी गई हैं। सभी श्रद्धांलुओं की रहने और भोजन की व्यवस्था की गई है। प्रसाशन द्वारा सुरक्षा की समुचित व्यवस्था होगी। कल भगवान बाहुबली का 1008 कलशों से महा मस्तकाभिषेक होगा।